मंगलवार, 24 जनवरी 2023

ग़ज़ल

उसके  दिल तक नहीं पहुँचा कोई रास्ता सीधा 

इसलिए कहने लगा इश्क़ को उल्टा सीधा 


जिस तरह से वो बताते हैं तुझे उज़्र अपने 

इसका मतलब तो तग़ाफ़ुल ही है सीधा सीधा 

हम अगर तुझमें समा जायें तो हैरत कैसी

आके गिरता है समंदर में ही दरिया सीधा 


हमने उस नाम की हुरमत को बचाये रक्खा 

लोग करते रहे जिस नाम पे पैसा सीधा 


क्यों मुझे बीच में खींचा गया मालूम नहीं 

मेरा ख़ुद से तो नहीं था कोई झगड़ा सीधा 


उस ज़माने की मुहब्बत के उसूलों पे चलें 

इस ज़माने में भला कौन है इतना सीधा 


मैं अगर भाग भी निकलूँ तो पकड़ जाऊँगा 

शहर ए क़ातिल में नहीं एक भी रस्ता सीधा 
-हर्षित मिश्रा 

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